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Shiv Parikrama: शिवलिंग की क्यों की जाती है अर्ध परिक्रमा ?

ByHinduEcho Hindu Beliefs

Shiv Parikrama: ईश्वर की आराधना करने के कई तरीके हैं उन्हीं में से एक है परिक्रमा। जिसका अर्थ होता है, अपने इष्ट के चारों ओर गोलाकार घूमते हुए ईश्वर की शरण में जाना।

सनातन धर्म में परिक्रमा का विशेष महत्व माना जाता है। परिक्रमाएं कई तरह से की जाती हैं। मंदिर की परिक्रमा, किसी वृक्ष की परिक्रमा, तीर्थ स्थान की परिक्रमा, देवी-देवताओं की प्रतिमाओं की परिक्रमा आदि।

प्रत्येक देवी-देवता की परिक्रमा करने के अलग नियम होते हैं। इसी तरह से भगवान शिव की परिक्रमा करने के भी नियम बताए गए हैं। जिसके अनुसार शिव जी की प्रतिमा की तो पूरी परिक्रमा कर सकते हैं लेकिन शिवलिंग की केवल आधी परिक्रमा ही की जाती है। और पढ़ें: शिव लिंग का रहस्य

भगवान शिव की अर्ध परिक्रमा क्यों करते है?

शिवजी की आधी परिक्रमा करने का विधान है। वह इसलिए की शिव के सोमसूत्र को लांघा नहीं जाता है। जब व्यक्ति आधी परिक्रमा करता है तो उसे चंद्राकार परिक्रमा कहते हैं। शिवलिंग को ज्योति माना गया है और उसके आसपास के क्षेत्र को चंद्र।

आपने आसमान में अर्ध चंद्र के ऊपर एक शुक्र तारा देखा होगा। यह शिवलिंग उसका ही प्रतीक नहीं है बल्कि संपूर्ण ब्रह्मांड ज्योतिर्लिंग के ही समान है।

Shivaling Bilv Patra

”अर्द्ध सोमसूत्रांतमित्यर्थ: शिव प्रदक्षिणीकुर्वन सोमसूत्र न लंघयेत ।। इति वाचनान्तरात।”

सोमसूत्र: शिवलिंग की निर्मली को सोमसूत्र कहा जाता है। शास्त्र का आदेश है कि शंकर भगवान की प्रदक्षिणा में सोमसूत्र का उल्लंघन नहीं करना चाहिए, अन्यथा दोष लगता है। सोमसूत्र की व्याख्या करते हुए बताया गया है कि भगवान को चढ़ाया गया जल जिस ओर से गिरता है, वहीं सोमसूत्र का स्थान होता है। (और पढ़ें: हिंदुओ द्वारा किए जाने वाले कर्म

क्यों नहीं लांघते सोमसूत्र?

सोमसूत्र में शक्ति-स्रोत होता है अत: उसे लांघते समय पैर फैलाते हैं और वीर्य ‍निर्मित और 5 अन्तस्थ वायु के प्रवाह पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। इससे देवदत्त और धनंजय वायु के प्रवाह में रुकावट पैदा हो जाती है। जिससे शरीर और मन पर बुरा असर पड़ता है। अत: शिव की अर्ध चंद्राकार प्रदशिक्षा ही करने का शास्त्र का आदेश है।

कब सोमसूत्र को लांघने का दोष नही लगता?

शास्त्रों में अन्य स्थानों पर मिलता है कि तृण, काष्ठ, पत्ता, पत्थर, ईंट आदि से ढके हुए सोम सूत्र का उल्लंघन करने से दोष नहीं लगता है।

किस ओर से परिक्रमा करनी चाहिए?

भगवान शिवलिंग की परिक्रमा हमेशा बांई ओर से शुरू कर जलाधारी के आगे निकले हुए भाग यानी जल स्रोत तक जाकर फिर विपरीत दिशा में लौटकर दूसरे सिरे तक आकर परिक्रमा पूरी करें।

Post Tags: #Hindu Beliefs#Santific Base of Hinduism#shiva

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