Skip to content

HinduEcho

  • Home
  • HindusimExpand
    • Vrat Tyohar
    • Devi Devta
    • 10 Mahavidya
    • Pauranik katha
  • TempleExpand
    • Jyotirlinga
    • ShaktiPeeth
  • AstrologyExpand
    • Jyotish
    • Face Reading
    • Shakun Apshakun
    • Dream
    • Astrologer
    • Free Astrology Class
  • BiogpraphyExpand
    • Freedom Fighter
    • Sikh Guru
  • TourismExpand
    • Uttar Pradesh
    • Delhi
    • Uttarakhand
    • Gujarat
    • Himachal Pradesh
    • Kerala
    • Bihar
    • Madhya Pradesh
    • Maharashtra
    • Manipur
    • Kerala
    • Karnataka
    • Nagaland
    • Odisha
  • Contact Us
Donate
HinduEcho
Donate

Mandu (M.P): History & Tourist Places in Hindi

ByHinduEcho Madhya Pradesh

माण्डू (Mandi) या माण्डवगढ़, भारत के मध्य प्रदेश राज्य के धार जिले के माण्डव क्षेत्र में स्थित एक प्राचीन शहर है। मांडव शहर धार से लगभग 35 किमी और इंदौर से 100 किमी दूर स्थित है।

Mandu: History, Facts & Tourist Places in Hindi

राज्यमध्य प्रदेश
जिलाधार
भाषाहिंदी और इंग्लिश
दर्शनीय स्थलबाज बहादुर महल, रूपमती मंडप, जाज महल, नीलकंठ, हिंडोला महल आदि।
सम्बंधित लेखमध्य प्रदेश कर पर्यटन स्थल
कब जाएंजुलाई से अगस्त।

मान्डू को आनंद और प्रेम के शहर रूप में याद किया जाता है। यह शहर मध्य प्रदेश के 21 वर्ग किलोमीटर में फैले पठार पर बसा हुआ है। मान्डू दक्षिणी इंदौर और मध्य प्रदेश की विन्ध्य पर्वत माला के पश्चिम में बसा हुआ खूबसूरत नगर है।

दसवीं और ग्यारहवीं शताब्दी में इसका नाम मांडवगढ़ था। बाद में मान्डू को सादियाबाद के नाम से भी जाना गया। समुद्र तल से 2000 फुट की ऊंचाई पर यह नगर स्थित है। शोर शराबे से मुक्त यह स्थान प्रकृति प्रेमियों का स्वर्ग है।                    

मांडू शहर का इतिहास (History of Mandu City)                                

मान्डू का इतिहास काफी पुराना है। इस शहर का उल्लेख 555 ईसवीं के संस्कृत अभिलेखों से प्राप्त होता है। इन अभिलेखों से ज्ञात होता है कि मान्डू छठी शताब्दी का खूबसूरत नगर था। दसवीं और ग्यारहवीं शताब्दी में परमार वंश के शासकों ने इस शहर पर अधिकार कर लिया और इसका नाम मांडवगढ़ रखा। 13वीं शताब्दी में परमारों ने अपनी राजधानी धार से मान्डू स्थानांतरित कर दी। इससे इस शहर का महत्व और बढ़ गया।

1305 ईसवीं में खिलजियों से पराजित होने के बाद परमारों का मान्डू से आधिपत्य समाप्त हो गया। मुगलों के मुस्लिम साम्राज्य के पतन बाद मालवा के अफगान गवर्नर दिलावर खान ने मान्डू को स्वतंत्र राज्य के रूप में स्थापित किया। उन्होंने मान्डू का नाम बदलकर सादियाबाद अर्थात् ‘खुशियों का नगर’ रखा। दिलावर खान गौरी के पुत्र हरशंग शाह ने मान्डू को विकास और संपन्नता के पथ पर अग्रसर किया। हरशंग शाह का काल मान्डू के इतिहास का स्वर्णयुग था।

हरशंग शाह के बाद उसका पुत्र मात्र एक साल तक सिंहासन पर बैठ सका। उसके बाद मुहम्मद शाह ने जहर देकर उसकी हत्या कर दी और गद्दी हथियाने के बाद 33 वर्ष तक शासन करता रहा। मुहम्मद शाह के शासन की अवधि लम्बी अवश्य थी परन्तु शान्तिपूर्ण नहीं क्योंकि उसका पड़ोसी राज्यों से हमेशा झगड़ा चलता रहता था।मुहम्मद शाह के बाद उसका पुत्र ग्‍यासुद्दीन गद्दी पर बैठा। उसने 31 साल तक शासन किया।

उसने अपना अधिकांश समय विलासिता और भोगविलास में बिताया। उसे भी उसके पुत्र ने  जहर देकर मार दिया और मान्‍डू के सिंहासन पर दस वर्ष तक शासन करने के बाद मृत्यु को प्राप्त हुआ। मुहम्मद शाह के उत्तराधिकारियों का अल्प कार्यकाल प्रसन्नता भरा नहीं रहा। आगे चलकर गुजरात के बहादुर शाह ने 1526 ईसवी में मान्डू को जीत लिया।

1534 ईसवी में हुमांयू ने बहादुर शाह को पराजित किया। बाद में बाज बहादुर ने 1554 ईसवी में यहां की सत्ता हासिल की। आगे चलकर1561 ईसवी में जब अकबर की सेना ने मान्डू जीतने के लिए चढाई की तो बाज बहादुर मान्डू छोड़कर भाग गया। 1732 ई. मुगलों की सत्ता कमजोर होने के बाद मराठों ने इस पर अधिकार कर लिया।

मांडू की प्रेम कहानी (Love Story of Mandu)

प्रेम कहानी मान्डू की भूमि बाज बहादुर और रानी रूपमती की प्रेम कहानी के रूप में भी जानी जाती है। बाज बहादुर संगीतज्ञ था जबकि रूपमती एक गायिका थी। वह रूपमती से गायिकी सीखना चाहता था। कहा जाता है कि जब उसने रानी रूपमती को जंगल के एक तालाब में स्नान करते देखा तो उस पर मोहित हो गया था। उसने रुपमती को मान्‍डू आने का न्‍यौता दिया, लेकिन रुपमती नर्मदा नदी को देखने के बाद ही गाना गाती थी।

इसलिए बाज बहादुर ने उसका आश्रय ऐसे स्थान पर बनवाया जहां वह आसानी से नर्मदा नदी को देख पाए। रानी रुपमती की सुन्‍दरता की चर्चा दूर-दूर तक फैल चुकी थी। रुपमती के कारण ही अकबर ने मान्‍डू पर चढाई की लेकिन इसकी भनक लगते ही उसने जहर खाकर अपनी ईहलीला समाप्‍त कर ली। आगे चलकर बाज बहादुर अकबर के दरबार में संगीतज्ञ बन गया।

मांडू के प्रमुख दर्शनीय स्थल (Best Places To Visit in Mandu)

बाज बहादुर महल– यह महल बाज बहादुर द्वारा सोलहवीं शताब्दी में बनवाया गया था। इस महल की अद्वितीय विशेषता इसका हाल और ऊंचे चबूतर से घिरा प्रांगण है। यहां से चारों तरफ का बेहतरीन नजारा देखा जा सकता है। यह महल मुगल और राजस्थानी शैली का मिश्रित रूप है। यह महल रीवा कुंड के नजदीक स्थित है।

रूपमती मंडप- यह मंडप सेना के निगरानी रखने के लिए बनवाया गया था। यह मंडप किले के बिल्कुल किनारे पर बना है। यहां से नर्मदा नदी और उसके मैदानों का अभूतपूर्व नजारा देखा जा सकता है। यह मंडप रानी रूपमती का आश्रय था।

जहाज महल- यह मान्डू की सबसे आकर्षक और प्रसिद्ध इमारत है। इसकी रचना पानी के जहाज के समान है। इसकी लम्बाई 120 मीटर और चौडाई 15 मीटर है। इसके पूर्व और पश्चिम में दो झीलें हैं। मुंज तलाब और कपूर तलाब नामक झीलों से घिरा यह महल ऐसा प्रतीत होता है जैसे कोई जहाज बंदरगाह पर खड़ा हो।

इस महल में शीतल कक्ष, तालाब के साथ-साथ खूबसूरत मेहराब भी बने हुए है। इसका निर्माण ग्‍यासुद्दीन खिलजी ने जनानखाने में रहने वाली लगभग 15000 सदस्यों के क्रीड़ास्थल के लिए किया था। 

नीलकंठ- शिव का यह पवित्र स्थान शानदार तरीके से खड़ीढाल वाली तंग घाटी पर बना है। इसका आंगन वृक्ष की छाया से ढका हुआ है। आज भी तीर्थयात्री यहां एकत्रित होकर पूजा-अर्चना करते हैं।

नीलकंठ महल- यह महल मुगल काल से संबंधित है और पवित्र नीलकंठ के समीप स्थित है। इसे अकबर के गवर्नर शाह बदगाह खान द्वारा अकबर की हिन्दु पत्नी के लिए बनवाया गया था। इसकी दीवारों पर अकबर के काल का अभिलेख खुदा हुआ है। 

हाथी महल- हाथी महल दरिया खान के मकबरे के समीप स्थित है। इसके विशालकाय स्तम्भों के कारण इसे हाथी महल कहा जाता है। महल के मुख्य गुम्बद को सहारा देते यह विशालकाय स्तम्भ हाथी के पैरों से समान प्रतीत होते हैं। प्रारंभ में यह आरामगाह था जिसे बाद में मकबरे में तब्दील कर दिया गया।

दरिया खान मकबरा- लाल पत्थरों से 1526 में निर्मित यह एक समाधि स्थल है जिसकी सजावट पहले तामचीनी के नमूने से की गई थी। इसके चारों कोनों पर होशंगशाह के मकबरे के समान छोटे-छोटे गुम्बद हैं। इसका भीतरी हिस्सा वर्ग के आकार का है।

दरवाजे- मान्डू में प्रवेश के 12 दरवाजे हैं। दिल्ली दरवाजा इन सभी दरवाजों में प्रसिद्ध है। यह किले के नगर में प्रवेश करने का मुख्य द्वार है। यहां पहुंचने के लिए सुरक्षा के घिरे हुए कुछ दरवाजों के माध्यम से आना होता है। आलमगीर और भंगी दरवाजे से यहां पहुंचा जाता है। इसके अतिरिक्त रामपोल, जहांगीर और तारापुर नामक अन्य दरवाजे भी दर्शनीय हैं।

हिंडोला महल- इस महल का संबध ग्‍यासुद्दीन के समय से है। यह दर्शकों का कक्ष था। ढलान वाली तिरछी दीवारों के कारण इसका नाम हिंडोला महल पड़ा। यह अदभुत महल है। इसे रचनात्मक शैली का उत्तम उदाहरण कहा जा सकता है। इसके अग्रभाग में काफी सजावट की गई है। रेतीले पत्थरों पर जाफरी की बेहतरीन कारीगरी और सांचे में ढले हुए स्तम्भ यहां की प्रमुख विशेषताएं है।

होशंगशाह का मकबरा- यह संगमरमर के पत्थर की प्रथम इमारत है। यह अफगानी भवन निर्माण कला का उत्‍कृष्‍ट उदाहरण है। इसमें एक खूबसूरत गुम्बद, संगमरमर की जाली की कारीगरी, ड्योढी, दरबार और एक मीनार है।

मकबरे के दाहिने दरवाजे पर खुदे अभिलेखों से ज्ञात होता है कि शाहजहां ने 1659 में अपने चार उस्ताद कारीगरों को ताजमहल बनाने से पूर्व इसका अध्ययन करने को भेजा था। ताकि वह इस सुन्दर रचना से ताजमहल बनाने की प्रेरणा ले सकें। ताजमहल के रचनाकारों में से एक उस्ताद हमीद भी इनमें शामिल था।

जामी मस्जिद- दमसकस की महान मस्जिद की प्रेरणा से जामी मस्जिद का निर्माण किया गया। इसका विशालकाय गुम्बद और ड्योढी जमीन से काफी ऊंची उठी हुई है। इसका निर्माण होशंगशाह ने शुरू किया था।

रीवा कुंड- इस कृत्रिम जलाशय को बाज बहादुर ने बनवाया। इस जलाशय को रूपमती के महल से जोड़ा ताकि वहां पानी की आपूर्ति होती रहे। अब इस कुंड को एक पवित्र स्थान माना जाता है।

चम्पा बावली- इस कुएं के जल की सुगंध चंपा के फूल जैसी थी। इसीलिए इस कुएं का नाम चम्पा बावली पड़ा। कुएं का तहखाना शीतल कक्षों से जुड़ा हुआ है जिनका प्रयोग गर्मियों के महीनों में आराम करने के लिए किया जाता था।
 
अशरफी महल- होशंगशाह के उत्तराधिकारी महमूद शाह खिलजी द्वारा इस महल का निर्माण किया गया। इसे सोने के सिक्कों के महल के नाम से भी जाना जाता है। मेवाड़ के राणा  खुम्बा पर विजय के उपलक्ष्य में इस मीनार का निर्माण करवाया गया था।

जैन मंदिर- यह आधुनिक मंदिरों का परिसर है। इन मंदिरों में जैन र्तीथकरों की सोने, चांदी और संगमरमर की तस्वीरें हैं। इन मंदिरों में उच्च कोटि की सजावट की गई है। यहां एक जन संग्रहालय भी है जहां शत्रुंजय की एक प्रतिकृति है। प्रवचन देते संत को यहां दीवारों पर दर्शाया गया है।

मान्डू कैंसे पहुंचे (How To Reach Mandu)

वायुमार्ग- मान्डू जाने के लिए इंदौर (99 किमी) नजदीकी एयरपोर्ट है। यह भोपाल, ग्वालियर, मुम्बई, दिल्ली और जयपुर से जुड़ा हुआ है। एयरपोर्ट पहुंचकर किराए की टैक्सी या बस के माध्यम से मान्डू पहुंचा जा सकता है।

रेलमार्ग- मान्डू का नजदीकी रेलवे स्टेशन रतलाम और इंदौर हैं। यह इंदौर से 99 कि.मी. और रतलाम से 124 कि.मी. किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह मुम्बई, भोपाल और दिल्ली से अनेक रेलगाड़ियों द्वारा जुड़ा हुआ है।

सड़क मार्ग- इंदौर-मान्डू मार्ग नियमित रूप से बसों से जुड़ा हुआ है। भोपाल से मान्डू जाने के लिए सीधी बस चलती है।

कब जाएं- मान्डू भ्रमण के लिए मानसून से अच्छा मौसम कोई नहीं हो सकता। जुलाई से अगस्त की अवधि मान्डू भ्रमण के लिए उपयुक्‍त मानी जाती है। इस मौसम में यहां की हरियाली और जल से भरे हुए जलाशय बरबस ही पर्यटकों का ध्यान आकर्षित कर लेते हैं। बारिश में यहां की ऐतिहासिक इमारतों में और निखार आ जाता है।

जलवायु- गर्मियों में यहां का तापमान काफी बढ जाता है। गर्मियों के दिनों में यहां का तापमान लगभग 40 डिग्री सेल्सियस हो जाता है। सर्दियों के दिनों में यहां का अधिकतम तापमान लगभग 32 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान लगभग 7 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है। इस क्षेत्र में औसत बारिश लगभग 1050 मि.मी. तक होती है।

Post Tags: #Madhya Pradesh#MP Tourism

Post navigation

Previous Previous
Panna (M.P): History & Tourist Places in Hindi
NextContinue
Gwalior (M.P): History & Tourist Places in Hindi

All Rights Reserved © By HinduEcho.com

  • Home
  • Privacy Policy
  • Contact
Twitter Instagram Telegram YouTube
  • Home
  • Vrat Tyohar
  • Hinduism
    • Devi Devta
    • 10 Maha Vidhya
    • Hindu Manyata
    • Pauranik Katha
  • Temple
    • 12 Jyotirlinga
    • Shakti Peetha
  • Astrology
    • jyotish
    • Hast Rekha
    • Shakun Apshakun
    • Dream meaning (A To Z)
  • Biography
    • Freedom Fighter
    • 10 Sikh Guru
  • Travel
  • Astrology Services
  • Join Free Course
  • Donate
Search
📢 नया लेख:
Bhind (M.P): History & Tourist Places in Hindi 👉 यहाँ पढ़ें ×